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आजकल फैटी लिवर की समस्या इतनी आम हो गई है कि लगभग हर तीसरे भारतीय को इससे जूझना पड़ रहा है। एम्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 40% से ज्यादा लोग फैटी लिवर की चपेट में हैं। पहले यह समस्या केवल 25 से 45 साल की उम्र के लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है।
फैटी लिवर एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है, बशर्ते हम समय रहते सही कदम उठाएं। इस लेख में, मैं आपको फैटी लिवर के बारे में पूरी जानकारी दूंगा — क्या है फैटी लिवर, इसके कारण, लक्षण, और सबसे महत्वपूर्ण बात, इसे कैसे प्राकृतिक तरीके से ठीक किया जा सकता है।
साथ ही, मैं आपके लिए दो असरदार देसी नुस्खे भी साझा करूंगा जो आपकी लिवर की सेहत को बेहतर बनाएंगे। तो चलिए, बिना देरी किए इस जरूरी विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
फैटी लिवर क्या है?
फैटी लिवर का मतलब होता है लिवर में अत्यधिक मात्रा में फैट जमा होना। थोड़ा बहुत फैट होना तो सामान्य है, लेकिन जब लिवर की कोशिकाओं में 5% से ज्यादा फैट जमा हो जाता है, तो इसे डॉक्टर फैटी लिवर कहते हैं। फैटी लिवर दो तरह का होता है:
- अल्कोहलिक फैटी लिवर: जो ज्यादा शराब पीने से होता है।
- नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर: जिसमें बिना शराब पिए भी लिवर में फैट जमा हो जाता है। यह आज सबसे ज्यादा कॉमन है।
यह बात ध्यान रखें कि फैटी लिवर में अल्कोहल का सेवन नुकसानदेह होता है। WHO की गाइडलाइंस भी कहती हैं कि अल्कोहल की एक बूंद भी स्वास्थ्य के लिए जोखिम शुरू कर देती है।
फैटी लिवर के स्टेज और खतरे
फैटी लिवर के तीन मुख्य स्टेज होते हैं:
- पहला स्टेज: फैट जमा होना, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में फैट 5% से ज्यादा हो जाता है, लेकिन लक्षण कम होते हैं।
- दूसरा स्टेज: लिवर की कोशिकाओं का क्षतिग्रस्त होना और सूजन (इंफ्लेमेशन) का बढ़ना।
- तीसरा स्टेज: सिरोसिस, जिसमें लिवर सिकुड़ जाता है और उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।
अगर समय रहते ध्यान ना दिया जाए तो लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर स्थिति तक पहुंच सकता है, जो जानलेवा भी हो सकती है। इसलिए शुरुआती स्टेज में ही इसे रोकना बहुत जरूरी है।
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फैटी लिवर किसे होता है? - रिस्क फैक्टर्स
फैटी लिवर होने का सबसे बड़ा रिस्क उन लोगों को होता है जिनका वजन ज्यादा है, खासकर जिनका पेट निकला हुआ हो। पेट का फैट सीधे लिवर पर असर डालता है। इसके अलावा, निम्नलिखित कारक भी फैटी लिवर का कारण बन सकते हैं:
- बहुत ज्यादा मीठा और मैदा आधारित भोजन का सेवन।
- तला हुआ और बाहर का जंक फूड खाना।
- बार-बार पेनकिलर, पैरासिटामॉल या स्टेरॉयडल दवाइयों का सेवन।
- डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर।
रिस्क फैक्टर | कैसे प्रभावित करता है? |
---|---|
मोटापा (विशेषकर पेट का फैट) | लिवर में फैट जमा होने का मुख्य कारण |
मीठा और मैदा आधारित भोजन | फैट जमा होने की प्रक्रिया को तेज करता है |
अधिक तला हुआ भोजन | लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालता है |
पेनकिलर और स्टेरॉयड दवाइयां | लिवर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती हैं |
डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल | फैटी लिवर के साथ जुड़ी अन्य बीमारियों का खतरा |
फैटी लिवर के लक्षण
फैटी लिवर की शुरुआती स्टेज में कोई खास लक्षण नहीं होते, इसलिए इसे पहचानना मुश्किल होता है। लेकिन कुछ संकेत हो सकते हैं:
- पेट के दाहिने नीचे हिस्से में हल्का दर्द या असहजता।
- भारी भोजन के बाद पाचन में समस्या।
- लगातार थकान महसूस होना।
- गले या गर्दन के आसपास कालापन या मस्से।
यदि ये लक्षण महसूस हों तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है। ₹50 में एएलटी टेस्ट करवा कर एसजीपीटी वैल्यू देखी जा सकती है, जो लिवर की स्थिति बताती है।
फैटी लिवर का इलाज: डाइट और लाइफस्टाइल
फैटी लिवर कोई बड़ी बीमारी नहीं, बल्कि एक लाइफस्टाइल डिसऑर्डर है। इसका इलाज सही खान-पान और नियमित व्यायाम से किया जा सकता है।
डाइट में क्या शामिल करें?
डाइट में बदलाव से फैटी लिवर ठीक किया जा सकता है। डॉक्टरों की सलाह होती है कि शरीर का 10% फैट कम करें, तो लिवर अपने आप ठीक हो जाएगा। इसके लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखें:
- मैदा और चीनी से बचें: इनके बजाय चोकर वाला आटा, ओट्स, मिलेट्स, रागी, ज्वार, जौ जैसे होल फूड्स खाएं।
- छिलके वाली दालें खाएं: साबुत हरी मूंग, काली उड़द, मसूर, राजमा, छोले, काले चने आदि। ये लिवर के फैट को कम करने में मदद करती हैं।
- कच्ची सब्जियां सलाद के रूप में लें: बीटरूट, गाजर, खीरा, पत्ता गोभी जैसे ताजे सलाद लंच से पहले खाएं।
- फलों का सेवन करें: सेब, पपीता, संतरा, खरबूजा, तरबूज जैसे फल बेहतर हैं। ड्राई फ्रूट्स में अखरोट सबसे फायदेमंद है।
- रिफाइंड तेल की जगह शुद्ध सरसों का तेल या कोल्ड प्रेस तेल का उपयोग करें।
इंटरमिटेंट फास्टिंग और सरकेडियन रिदम
इंटरमिटेंट फास्टिंग यानी भोजन के बीच 15-16 घंटे का अंतराल रखना लिवर को खुद को ठीक करने का मौका देता है। जैसे:
- ब्रेकफास्ट: सुबह 10 बजे
- लंच: दोपहर 2 बजे
- डिनर: शाम 7 बजे
रात 7 बजे के बाद से सुबह 9-10 बजे तक फास्टिंग रहती है, जिससे लिवर और शरीर को आराम मिलता है। यह तरीका हमारे पुराने समय के खान-पान की तरह है, जिसे आधुनिक साइंस सरकेडियन रिदम के नाम से जानती है।
फैटी लिवर के लिए एक्सरसाइज
डाइट के साथ-साथ एक्सरसाइज भी जरूरी है। हफ्ते में कम से कम 150 मिनट यानी दिन के 20 मिनट शरीर को हिलाना जरूरी है।
- रनिंग, ब्रिस्क वॉकिंग, योगा, प्राणायाम, वेट ट्रेनिंग या कोई भी खेल खेल सकते हैं।
- जो भी एक्सरसाइज पसंद हो, उसे नियमित करें।
दो असरदार होम रेमेडीज फैटी लिवर के लिए
1. गन्ने का जूस
गन्ने का जूस लिवर की गर्मी निकालने में बेहद असरदार है। पीलिया या जंडिस के मरीजों को डॉक्टर गन्ने का जूस पीने की सलाह देते हैं। फैटी लिवर के लिए भी यह जूस किसी दवा से कम नहीं।
- नियमित रूप से 1-2 महीने तक फ्रेश गन्ने का जूस पीने से एसजीपीटी और एसजीओटी की वैल्यू नॉर्मल हो जाती है।
- ध्यान रखें कि जूस फ्रेश हो, उसमें नमक या ज्यादा बर्फ न डालें।
- नींबू, पुदीना और अदरक मिलाने से फायदा बढ़ता है।
- शाम 5 बजे से पहले खाली पेट जूस पीना सबसे अच्छा है।
2. कुटकी का सेवन
आयुर्वेद में कुटकी को लिवर के लिए सबसे बेहतरीन हर्ब्स माना जाता है। यह लिवर की गर्मी कम करता है, सूजन घटाता है और लिवर की सफाई करता है।
- एक गिलास पानी में आधा चम्मच कुटकी पाउडर और आधा चम्मच शहद मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले या रात को सोने से पहले पिएं।
- लगातार एक महीने तक सेवन करने से लिवर की स्थिति में सुधार होता है।
फैटी लिवर के लिए जरूरी बातें - संक्षेप में
- मैदा, चीनी और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें।
- होल फूड्स जैसे मिलेट्स, छिलके वाली दालें, फल और सब्जियां खाएं।
- दिन में कम से कम 15-20 मिनट एक्सरसाइज करें।
- इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाएं।
- रोजाना शाम 5 बजे से पहले गन्ने का जूस पिएं।
- रात को सोने से पहले कुटकी का सेवन करें।
निष्कर्ष
फैटी लिवर आज की व्यस्त और अनियमित जीवनशैली की वजह से तेजी से बढ़ रही समस्या है, लेकिन यह एक पूरी तरह से ठीक होने वाली बीमारी है। सबसे जरूरी है कि हम अपने खान-पान और दिनचर्या पर ध्यान दें। मैदा, चीनी और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें, होल फूड्स अपनाएं, नियमित एक्सरसाइज करें और इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। साथ ही, गन्ने का जूस और कुटकी जैसे प्राकृतिक नुस्खे लिवर की सेहत को बेहतर बनाने में बहुत मदद करते हैं।
लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो खुद को जल्दी ठीक कर सकता है अगर उसे सही मौका और पोषण मिले। इसलिए, इसे नजरअंदाज न करें और समय रहते अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं। याद रखें, फैटी लिवर एक तरह का फायर अलार्म है, जो हमें चेतावनी देता है कि हमारा शरीर सही रास्ते पर नहीं चल रहा। इस अलार्म को सुनें और अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
अगर आप या आपके परिवार में किसी को फैटी लिवर है, तो घबराएं नहीं। बस इस लेख में बताए गए उपायों को अपनाएं और दो महीने में फर्क महसूस करें। स्वस्थ लिवर, स्वस्थ जीवन का आधार है।
स्वस्थ रहें, खुश रहें!
FAQs: फैटी लिवर के बारे में आम सवाल
फैटी लिवर कितनी जल्दी ठीक हो सकता है?
अगर सही डाइट, एक्सरसाइज और होम रेमेडीज अपनाई जाएं तो 2 महीने में फैटी लिवर सामान्य हो सकता है।
क्या फैटी लिवर का इलाज दवाओं से होता है?
डॉक्टर्स मानते हैं कि फैटी लिवर 100% ट्रीटेबल है और ज्यादातर मामलों में बिना किसी दवा के भी ठीक हो जाता है यदि लाइफस्टाइल ठीक किया जाए।
क्या फैटी लिवर बच्चों में भी होता है?
जी हां, आजकल फैटी लिवर बच्चों में भी बढ़ रहा है, खासकर उन बच्चों में जो जंक फूड ज्यादा खाते हैं और कम एक्टिव होते हैं।
क्या शराब पीने से फैटी लिवर बढ़ता है?
बिल्कुल। शराब पीने से लिवर पर बुरा असर पड़ता है और अल्कोहलिक फैटी लिवर होता है, जो बहुत नुकसानदेह होता है।
क्या कुटकी और गन्ने का जूस एक साथ लिया जा सकता है?
जी हां, दोनों को एक साथ लेने में कोई दिक्कत नहीं है। ये दोनों मिलकर लिवर को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं।
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