शाकाहारी होते ही सबसे बड़ा डर यही रहता है, प्रोटीन पूरा होगा भी या नहीं। आसपास हर जगह बस यही सुनने को मिलता है, अंडा खाओ, चिकन खाओ, वरना मसल्स कैसे बनेंगे। ऊपर से सोशल मीडिया पर हर दूसरा इंसान प्रोटीन शेक पीते दिखता है, तो लगता है कि बिना पाउडर के कुछ हो ही नहीं सकता।
हक़ीकत यह है कि सही तरीके से प्लान की गई शाकाहारी डाइट से आप आराम से अपनी रोज़ की प्रोटीन ज़रूरत पूरी कर सकते हैं, वह भी बिना अंडे और बिना महंगे सप्लीमेंट्स के।
इस लेख में बात करेंगे:
- प्रोटीन आपके शरीर के लिए इतना ज़रूरी क्यों है
- आज के दौर के अंडे हेल्दी हैं या नहीं
- ऐसे 6 शाकाहारी फूड्स, जिनमें अंडे से भी ज़्यादा प्रोटीन है
- दिन भर के मील्स में इन्हें कैसे फिट किया जाए ताकि आपको सोचना न पड़े कि प्रोटीन कम तो नहीं हो रहा
अगर आप बस इतना चाहते हैं कि पेट अंदर रहे, शरीर एक्टिव रहे, थोड़ा मस्कुलर लुक भी आ जाए, तो यह गाइड आपके लिए है।
क्यों ज़रूरी है प्रोटीन, खासकर शाकाहारियों के लिए
हम अकसर कार्ब्स और फैट्स पर तो ध्यान देते हैं, पर जो काम प्रोटीन करता है, वह कोई और नहीं कर सकता।
प्रोटीन के मुख्य फायदे:
- मसल बिल्डिंग और रिपेयर: आपके मसल्स असल में प्रोटीन से ही बनते हैं। वर्कआउट के बाद जो टूट-फूट होती है, उसकी मरम्मत प्रोटीन ही करता है।
- फैट लॉस में मदद: प्रोटीन खाने के बाद लंबे समय तक पेट भरा-भरा लगता है। इसका मतलब कम अनचाही स्नैकिंग, और धीरे-धीरे पेट की चर्बी कम होना।
- बाल और स्किन: प्रोटीन आपके बालों के लिए नेचुरल केरेटिन ट्रीटमेंट जैसा काम करता है, और स्किन में कोलेजन बढ़ाकर उसे टाइट और हेल्दी रखता है।
- ब्लड शुगर और हड्डियाँ: अच्छी प्रोटीन इनटेक से ब्लड शुगर ज़्यादा फ्लक्चुएट नहीं करती, और हड्डियाँ भी मज़बूत रहती हैं।
अगर आप शाकाहारी हैं, तो सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि बिना अंडे और चिकन के यह सब कैसे मिलेगा। अच्छी बात यह है कि साइंस भी अब साफ़ कह रही है कि प्लांट प्रोटीन से भी मसल ग्रोथ अच्छी तरह हो सकती है। जैसे कि The 18 Best Protein Sources for Vegans and Vegetarians में कई बेहतरीन प्लांट सोर्सेस लिस्टेड हैं।
अब पहले यह समझ लेते हैं कि अंडा इतना पॉपुलर क्यों हुआ और आज इसके साथ दिक्कत क्या है।
अंडा: हाई क्वालिटी प्रोटीन, पर क्या आज के अंडे सच में हेल्दी हैं?
सबसे पहले फैक्ट्स साफ़ कर लेते हैं।
- 1 मीडियम अंडे में लगभग 6 ग्राम प्रोटीन होता है
- लगभग 4 ग्राम एग वाइट में
- और 2 ग्राम एग योक में
- अंडे का प्रोटीन कंप्लीट प्रोटीन है, यानी इसमें 9 के 9 एसेंशियल अमीनो एसिड्स होते हैं
- इसकी बायो-अवेलेबिलिटी करीब 95% मानी जाती है, यानी ज़्यादातर प्रोटीन शरीर अच्छे से यूज़ कर लेता है
कागज़ पर तो अंडा परफेक्ट दिखता है। दिक्कत शुरू होती है आज की कमर्शियल एग इंडस्ट्री से।
कमर्शियल एग प्रोडक्शन की हकीकत
नेचुरल कंडीशन में एक मुर्गी साल में करीब 15 से 20 अंडे देती है। आज जो हाइब्रिड ब्रीड्स बनाई गई हैं, उन्हें कंट्रोल्ड लाइटिंग और टाइट स्पेस में रखकर 300 अंडे तक साल भर में निकलवाए जाते हैं।
इसका असर मुर्गी के शरीर पर कुछ यूँ पड़ता है:
- बोन डिप्लीशन (हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं)
- न्यूट्रिएंट डेफिशिएंसी
- क्रॉनिक थकान
दो साल तक इतना प्रेशर झेलने के बाद जब उनकी प्रोडक्शन कैपेसिटी 300 से गिरकर 150 से 180 अंडों तक आती है, तो उन्हें "स्पेंट हेंस" कहा जाता है और स्लॉटर हाउस भेज दिया जाता है जहाँ से प्रोसेस्ड चिकन प्रोडक्ट्स और एनिमल फीड बनता है।
लगभग 98% अंडे उन मुर्गियों से आते हैं जो बैटरी केजेस में रखी जाती हैं। इन छोटे पिंजरों में न ठीक से चलने की जगह होती है, न पंख फैलाने की। एक-दूसरे को चोंच मारने से रोकने के लिए उनकी चोंच बिना किसी एनेस्थीसिया के काट दी जाती है।
यह सिर्फ एथिक्स की बात नहीं, हेल्थ पर भी असर डालती है।
एंटीबायोटिक ओवरलोड और हमारी सेहत
इतने भीड़-भाड़ भरे माहौल में बीमारियाँ फैलने का रिस्क बहुत ज़्यादा होता है, इसलिए मुर्गियों की रोज़ाना फीड में एंटीबायोटिक्स मिक्स किए जाते हैं।
- इन एंटीबायोटिक्स का रेजिड्यू अंडों में आता है
- अंडा खाने पर वही रेजिड्यू धीरे-धीरे हमारी बॉडी में जमा होता रहता है
- समय के साथ बॉडी एंटीबायोटिक्स की आदत डाल लेती है और आप एंटीबायोटिक रेज़िस्टेंट होने लगते हैं
यानि, जब सच में किसी इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक ज़रूरी होगी, वह ठीक से काम ही नहीं करेगी।
वेज फूड्स में भी पेस्टिसाइड्स और केमिकल्स की दिक्कत है, पर ज़्यादातर केस में उनकी मात्रा कम होती है और वह मिट्टी या स्प्रे से आती है, रोज़-रोज़ की फीड से नहीं।
अगर अंडा ही खाना हो तो क्या करें?
अगर आपको अंडे छोड़ने का मन नहीं, तो कम से कम कोशिश करें कि
- बैटरी केज की जगह फ्री-रेंज या पेस्चर रेज्ड एग्स लें
- ये काफ़ी महंगे पड़ सकते हैं (करीब 20 रुपये या उससे ज़्यादा एक अंडा), पर उनकी क्वालिटी बेहतर होती है
बाकी, अगर आप सोचते हैं कि किसी और प्राणी की ऐसी हालत खराब करके हम अपनी हेल्थ बनाएँ या न बनाएँ, तो आपके लिए शाकाहारी प्रोटीन फूड्स बहुत अच्छे विकल्प हैं। अच्छी बात यह है कि कई रिसर्च और आर्टिकल्स, जैसे कि 8 Plant-Based Foods with More Protein Than an Egg, साफ़ दिखाते हैं कि अंडा ही एकमात्र हाई प्रोटीन फूड नहीं है।
अब चलते हैं उन 6 शाकाहारी फूड्स की तरफ जो अंडे से कम नहीं, कई मामलों में उससे बेहतर हैं।
#6 राजमा, सफेद चना और काला चना: एक प्लेट और चार अंडों के बराबर प्रोटीन
राजमा, चना या छोले ज़्यादातर घरों में बनते हैं, पर कम ही लोग इन्हें प्रोटीन बम की तरह देखते हैं।
प्रोटीन और बायो-अवेलेबिलिटी
- 100 ग्राम कच्चा राजमा: लगभग 24 ग्राम प्रोटीन
- प्रोटीन की बायो-अवेलेबिलिटी करीब 88%, जो काफी अच्छी है
मतलब, 100 ग्राम कच्चा राजमा पकाकर खा लें तो लगभग चार पूरे अंडों के बराबर प्रोटीन मिल जाता है।
पकने के बाद पानी सोखने से वजन बदलता है, प्रोटीन नहीं।
| फूड | कच्चा वजन | पकने के बाद वजन | प्रोटीन (लगभग) |
|---|---|---|---|
| राजमा | 100 g | 250–300 g | 24 g |
| सफेद चना | 100 g | 250–280 g | 20–22 g |
| काला चना | 100 g | 250–280 g | 20–22 g |
ज़्यादातर लोग एक मील में 75 से 100 ग्राम कच्चा राजमा या चना आराम से खा लेते हैं, खासकर लंच में।
अगर आप चाहें तो अच्छा क्वालिटी राजमा जैसे यह ऑर्गेनिक राजमा विकल्प ले सकते हैं ताकि केमिकल लोड थोड़ा कम हो।
"इनकम्प्लीट प्रोटीन" वाला मिथ
अक्सर कहा जाता है कि दालें और राजमा इनकम्प्लीट प्रोटीन हैं। टेक्निकली देखा जाए तो राजमा में सारे 9 एसेंशियल अमीनो एसिड्स होते हैं, बस मेथियोनिन थोड़ा कम होता है।
अब सोचिए, क्या आप कभी सिर्फ राजमा अकेला खाते हैं?
- राजमा हमेशा चावल या रोटी के साथ खाया जाता है
- चावल और गेहूँ में मेथियोनिन अच्छा खासा होता है
इस तरह राजमा + चावल या राजमा + रोटी मिलकर एक कम्प्लीट प्रोटीन मील बना देते हैं। दिन भर में अलग-अलग ग्रेन्स और दालों का कॉम्बिनेशन खाते रहेंगे, तो सारे अमीनो एसिड्स आराम से कवर हो जाते हैं।
"राजमा में तो कार्ब्स ज़्यादा हैं"
हाँ, यह सही है कि राजमा एक लीन प्रोटीन सोर्स नहीं है।
- 100 ग्राम राजमा में लगभग 60 ग्राम कॉम्प्लेक्स कार्ब्स
- साथ में लगभग 15 ग्राम फाइबर
ये कोई रिफाइंड शुगर नहीं, बल्कि स्लो डाइजेस्ट होने वाले कार्ब्स हैं जो ब्लड शुगर को स्टेबल रखते हैं और आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं।
लॉन्ग-टर्म स्टडीज़ में देखा गया कि
- हफ्ते में 7 से ज़्यादा अंडे खाने वालों में डायबिटीज का रिस्क क़रीब 23% तक बढ़ गया
- वहीं रोज़ दालें और बीन्स खाने वालों में डायबिटीज का रिस्क लगभग 20% तक घटा
और मज़ेदार बात यह कि राजमा किडनी के लिए एक तरह का सुपरफूड माना जाता है, जबकि बहुत ज़्यादा एनिमल प्रोटीन यूरिक एसिड और किडनी स्ट्रेस बढ़ा सकता है।
एक सिंपल मील आइडिया:
- 75 g कच्चा राजमा (पकाकर सब्ज़ी) → लगभग 18 g प्रोटीन
- 2 मीडियम फुलके → लगभग 8 g प्रोटीन
- 100 g दही साथ में → 3–4 g प्रोटीन
कुल मील प्रोटीन: लगभग 29–30 ग्राम, जो एक मील के लिए बेहतरीन है।
#5 भुना चना और चना सत्तू: सस्ता, क्रंची और डेली यूज़ वाला प्रोटीन
काले चने को लगभग 30 मिनट तक ड्राई रोस्ट किया जाए तो वह भुना चना बन जाता है। यह वही चीज है जो गाँवों में सालों से टाइम-पास स्नैक के रूप में खाई जाती रही है।
न्यूट्रिशन और डाइजेस्टिबिलिटी
- 100 ग्राम भुना चना: लगभग 22 ग्राम प्रोटीन
- आयरन, मैग्नीशियम, जिंक, फास्फोरस, पोटैशियम, फोलेट जैसे कई माइक्रोन्यूट्रिएंट्स
- इतना फाइबर कि एक कटोरी खाने से रोज़ की ज़रूरत का लगभग 50% फाइबर पूरा हो जाए
रोस्ट करने से इसके अंदर के फाइटिक एसिड और एंटी-न्यूट्रिएंट्स कम हो जाते हैं, और प्रोटीन ज़्यादा आसानी से डाइजेस्ट होता है। एक स्टडी में देखा गया कि रॉ काले चने की बायो-अवेलेबिलिटी लगभग 74% थी, जो भुनने के बाद करीब 82% तक बढ़ गई।
| फूड | प्रोसेस | प्रोटीन डाइजेस्टिबिलिटी (लगभग) |
|---|---|---|
| काला चना | कच्चा | 74% |
| काला चना | भुना | 82% |
प्रोटीन की कीमत किसमें सबसे कम पड़ती है?
भुना चना सिर्फ हेल्दी नहीं, बहुत किफायती भी है।
मान लें:
- 1 किलो भुना चना → लगभग ₹150
- 100 ग्राम में, सुरक्षित मानें तो, 22 g प्रोटीन
तो कुल 1 किलो में लगभग 220 g प्रोटीन मिलेगा।
| सोर्स | अनुमानित कीमत | 1 g प्रोटीन की लागत (₹ लगभग) |
|---|---|---|
| भुना चना | ₹150 / kg | 0.68 |
| अंडा | ₹4.5 प्रति अंडा | 0.75 |
| व्हे प्रोटीन | ₹1500 / 500 g (उदाहरण) | ~4.50 |
साफ़ दिखता है कि प्रोटीन की कीमत के हिसाब से भुना चना बहुत आगे है। अगर आप चाहें तो अच्छी क्वालिटी वाला भुना चना जैसे यह विकल्प ले सकते हैं।
सत्तू: देसी प्रोटीन ड्रिंक
जब इसी भुने चने को पीसकर पाउडर बना दिया जाए, तो वह चना सत्तू कहलाता है।
- 30 g सत्तू में लगभग 7 g प्रोटीन
- 21 g कॉम्प्लेक्स कार्ब्स
- 5 g फाइबर
- साथ में मिनरल्स की अच्छी खुराक
वर्कआउट के बाद इसे पानी में मिलाकर पीना एक बढ़िया नेचुरल प्रोटीन शेक जैसा है। एक बार में 50 g सत्तू आराम से लिया जा सकता है, जिससे करीब 12 g प्रोटीन मिल जाएगा। आप चाहे तो स्टोन-ग्राउंड सत्तू जैसे यह सत्तू विकल्प चुन सकते हैं।
व्हे प्रोटीन बनाम भुना चना / सत्तू
व्हे प्रोटीन की बायो-अवेलेबिलिटी भले 99% के आसपास बताई जाती है, पर उसमें
- आर्टिफिशियल फ्लेवर
- आर्टिफिशियल स्वीटनर
- और अक्सर लो-क्वालिटी दूध का रिस्क
सब बना रहता है।
वहीं भुना चना और सत्तू, सादे, पारंपरिक और टेस्ट में भी अच्छे हैं। सोचिए, हमारे जवान 20–25 किलोमीटर की दौड़, भारी बैग के साथ ऊँची पहाड़ियों पर चढ़ाई, यह सब बिना व्हे प्रोटीन के कर लेते हैं।
एक आसान स्नैक आइडिया:
- 50 g भुना चना
- एक मुट्ठी मूंगफली
दोनों मिलकर लगभग 18 g प्रोटीन, कॉम्प्लेक्स कार्ब्स और हेल्दी फैट्स देते हैं।
#4 दूध, पनीर और दही: शाकाहारी कम्प्लीट प्रोटीन पावरहाउस
दूध को लेकर आजकल काफ़ी कन्फ्यूज़न है, और यह जायज़ भी है। बहुत-सा कमर्शियल दूध जर्सी या HF जैसी फॉरेन ब्रीड्स से आता है जहाँ एनिमल वेलफेयर की हालत बहुत अच्छी नहीं होती।
लेकिन दूसरी तरफ़, देसी गाय का सही तरीके से निकाला गया A2 दूध शरीर के लिए लगभग अमृत जैसा माना गया है।
सही दूध कैसे चुनें
- कोशिश करें कि आसपास की किसी अच्छी गौशाला या लोकल डेयरी से देसी गाय का दूध लें
- कई शहरों में आप "A2 milk near me" सर्च करके या सीधे A2 milk powder जैसे विकल्प से शुरुआत कर सकते हैं
शास्त्रों में "दोहान" का कॉन्सेप्ट आता है, जिसमें दो थन बछड़े के लिए और बाकी दो से इंसान दूध लेते हैं, बशर्ते गाय की सेवा हो। पॉइंट यह है कि यदि आप दूध पीते हैं, तो उसकी क्वालिटी और गाय की कंडीशन पर ध्यान ज़रूर दें।
दूध, पनीर और दही में कितना प्रोटीन?
- 100 ml दूध: 3–3.5 g प्रोटीन
- 1 ग्लास (करीब 300 ml) → 9–10 g प्रोटीन
- 100 g पनीर: लगभग 20 g प्रोटीन
- 100 g दही: 3–4 g प्रोटीन
दूध का प्रोटीन, यानी कैसिइन और व्हे, कम्प्लीट प्रोटीन है और इसकी डाइजेस्टिबिलिटी अंडे से भी थोड़ा ऊपर मानी जाती है।
मील आइडियाज़
- रात को सोने से पहले 1 गिलास दूध
- लगभग 10 g प्रोटीन
- नींद भी बेहतर और मसल रिकवरी में मदद
- ब्रेकफास्ट में दूध वाला दलिया या ओट्स
- 500 ml दूध + 50 g दलिया → करीब 23 g प्रोटीन
- ऊपर से बादाम, काजू डालें तो और बढ़ जाएगा
- मटर पनीर
- 100 g पनीर + 100 g मटर → लगभग 27 g कम्प्लीट प्रोटीन
- पराठा + दही
- 2 गोभी परांठे + 400 g दही → कम से कम 26 g प्रोटीन
दूध, पनीर और दही से आपको सिर्फ प्रोटीन नहीं, बल्कि विटामिन B12, जिंक, CLA, ओमेगा 3 जैसे न्यूट्रिएंट्स भी मिलते हैं। यह सब मिलकर ओवरऑल हेल्थ, इम्युनिटी और मसल रिकवरी को सपोर्ट करते हैं।
अगर अच्छे सोर्स से दूध न मिल पाए, तो इसे ज़रूरी समझकर जबरदस्ती पीने की भी ज़रूरत नहीं। बाकी पाँच सोर्सेस से भी आपका प्रोटीन आराम से पूरा हो सकता है।
#3 हरी मटर: हर सर्दी की सब्ज़ी, पर प्रोटीन सुपरस्टार
हरी मटर को हम ज़्यादातर "टेस्ट बढ़ाने" के लिए डालते हैं, जबकि यह खुद एक अच्छा प्रोटीन सोर्स है।
- 100 g फ्रेश हरी मटर: लगभग 7 g प्रोटीन
आप इसे
- आलू के साथ,
- गोभी के साथ,
- गाजर या मशरूम के साथ,
किसी भी कॉम्बिनेशन में खा सकते हैं और प्रोटीन बढ़ा सकते हैं।
मटर पनीर का उदाहरण:
- 100 g पनीर → 20 g प्रोटीन
- 100 g मटर → 7 g प्रोटीन
- सिर्फ सब्ज़ी से ही → 27 g कम्प्लीट प्रोटीन
मटर में एसेंशियल अमीनो एसिड्स अच्छे अमाउंट में होते हैं, इसी वजह से ज्यादातर वीगन प्रोटीन पाउडर्स पी प्रोटीन से बनते हैं। एक स्टडी में 161 पुरुषों पर देखा गया कि मसल ग्रोथ के मामले में पी प्रोटीन और व्हे प्रोटीन में लगभग कोई फर्क नहीं था।
अगर आपको साल भर मटर का मज़ा लेना है, तो आप अच्छी क्वालिटी वाली सूखी मटर, जैसे यह ड्राय ग्रीन पीज़ विकल्प, स्टोर कर सकते हैं और भिगोकर सब्ज़ी बना सकते हैं।
मटर का एक और प्लस पॉइंट यह है कि यह ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल दोनों के लिए लाभदायक है
#2 मूंगफली और पीनट बटर: छोटे दाने, बड़ा काम
मूंगफली को हम अक्सर "सस्ती चीज़" समझकर हल्के में ले लेते हैं, जबकि न्यूट्रिशन के हिसाब से यह बहुत स्ट्रॉन्ग फूड है।
- एक मुट्ठी मूंगफली (लगभग 25–30 g):
- लगभग 7 g प्रोटीन
- लगभग 14 g हेल्दी फैट्स
यह फैट्स आपके हार्मोन बैलेंस, ब्रेन हेल्थ और हार्ट के लिए अच्छे हैं, बशर्ते मात्रा सही रहे।
कई स्टडीज़ में यह सामने आया है कि रोज़ाना अगर आप थोड़ी-सी नट्स या मूंगफली खाते हैं, तो हार्ट अटैक का रिस्क कम हो सकता है। WebMD की एक रिपोर्ट, Foods With More Protein Than an Egg, में भी मूंगफली को अच्छे प्रोटीन सोर्स के रूप में हाइलाइट किया गया है।
डेली डाइट में मूंगफली कैसे जोड़ें
- पोहा में एक मुट्ठी मूंगफली
- पोहा अकेला लो-प्रोटीन है
- मूंगफली डालते ही 7 g प्रोटीन बढ़ जाता है
- आलू की चाट या सलाद में मूंगफली
- भुना चना + मूंगफली
- 50 g भुना चना + एक मुट्ठी मूंगफली → लगभग 18 g प्रोटीन
अच्छा क्वालिटी रोस्टेड अनसाल्टेड पीनट्स जैसे यह विकल्प लेकर आप ओवर-सॉल्ट और ऑयली मार्केट स्नैक्स से बच सकते हैं।
पीनट बटर
अगर आप थोड़ा मॉडर्न टच चाहते हैं, तो पीनट बटर भी एक अच्छा तरीका है।
- 2 टेबलस्पून पीनट बटर: लगभग 7 g प्रोटीन
इसे
- स्मूदी में,
- रोटी/ब्रेड पर,
- या किसी सब्ज़ी की ग्रेवी में
यूज़ कर सकते हैं। बेहतर यह है कि बिना चीनी और बिना वेजीटेबल ऑयल वाला पीनट बटर चुनें, जैसे कोई नेचुरल वैरिएंट इस तरह का।
पार्टनर स्पॉटलाइट: BioMuni Skin Radiance Vitamin C Serum
प्रोटीन रिच डाइट से आपकी स्किन और बाल अंदर से बेहतर होते हैं। अगर आप बाहर से भी स्किन को थोड़ा सपोर्ट देना चाहें, तो एक सिंपल और क्लीन सीरम रूटीन मदद कर सकती है।
BioMuni Skin Radiance Vitamin C Serum की खास बातें:
- इसमें Vitamin C, Niacinamide और Hyaluronic Acid हैं, जो स्किन ब्राइटनिंग, हाइड्रेशन और टेक्स्चर में मदद करते हैं
- इसमें सिलिकॉन, EDTA, आर्टिफिशियल फ्रेगरेंस या पैरबेन जैसे हार्श केमिकल्स नहीं हैं
- बेस के रूप में Aloe vera leaf juice, Licorice root extract और Manjistha root extract जैसे आयुर्वेदिक हर्ब्स हैं
- हर स्किन टाइप के लिए सूटेबल
यूज़ करने का तरीका बहुत आसान है, बस 3–4 ड्रॉप्स लेकर चेहरे पर हल्के हाथ से मसाज करिए।
अगर आप इसे ट्राई करना चाहें तो आप सीधे BioMuni Skin Radiance Serum पेज से ले सकते हैं। वहाँ FT10 कोड लगाने पर 10% की छूट भी मिलती है। जो लोग Amazon से लेना पसंद करते हैं, वे Amazon पर उपलब्ध यही सीरम भी देख सकते हैं।
#1 दालें और बेसन: शाकाहारी प्रोटीन का सबसे भरोसेमंद सोर्स
भारतीय किचन की सबसे बड़ी ताकत हैं हमारी अलग-अलग दालें। आप चाहे नॉर्थ से हों या साउथ से, दाल रोज़ के खाने का हिस्सा होती ही है।
कौन-सी दाल कितनी प्रोटीन देती है
कई दालों के 100 g कच्चे रूप में लगभग 23–24 g प्रोटीन होता है, जैसे:
- हरी मूंग दाल
- मसूर दाल
- तूर / अरहर दाल
चना दाल और उड़द दाल में भी लगभग इतना ही प्रोटीन होता है, बस वे थोड़ी हैवी होती हैं, तो जिन्हें डाइजेशन की दिक्कत रहती है वे इन्हें लंच में लें या कम मात्रा में डिनर में।
"दाल का प्रोटीन एब्ज़ॉर्ब नहीं होता" वाला मिथ
अक्सर कहा जाता है कि दाल का प्रोटीन एब्ज़ॉर्ब नहीं होता। सच यह है कि दालों की प्रोटीन डाइजेस्टिबिलिटी सामान्य रूप से 80–85% तक होती है, जो काफी ठीक है।
और जब आप दाल को भिगोकर पकाते हैं, तो यह डाइजेस्टिबिलिटी लगभग 6% तक और बढ़ जाती है।
| दाल | प्रोसेस | प्रोटीन डाइजेस्टिबिलिटी (लगभग) |
|---|---|---|
| सामान्य दाल | बिना भिगोए | 80–85% |
| वही दाल | भिगोकर | 86–91% |
| स्प्राउट्स | अंकुरित | और भी ज़्यादा, बेहतर अब्ज़ॉर्पशन |
इसीलिए सिर्फ राजमा ही नहीं, सभी दालों को पकाने से पहले भिगोना अच्छा रहता है।
स्प्राउट्स की बात करें, तो 100 g स्प्राउटेड दाल से लगभग 9 g प्रोटीन मिल जाता है और एंज़ाइम्स की वजह से डाइजेशन भी बेहतर होता है।
डेली प्रोटीन के लिए दाल वाले मील आइडियाज़
- लाइट डिनर
- 50 g कच्ची दाल (भिगोकर पकी) → करीब 12 g प्रोटीन
- 2 फुलके → करीब 6 g प्रोटीन
- कुल: 18 g प्रोटीन
- दाल + चावल
- 50 g दाल + 1 कप चावल → करीब 16 g प्रोटीन
- दाल + मिलेट्स
- अगर चावल की जगह बाजरा या ज्वार लें, तो प्रोटीन और बढ़ जाता है, लगभग 18 g तक
बेसन के चीले भी बहुत बढ़िया हाई-प्रोटीन ब्रेकफास्ट हैं।
- 3 मीडियम चीले (चने की दाल से बना बेसन) → लगभग 18 g प्रोटीन
- साथ में 200 g दही → और 6–7 g प्रोटीन
कुल ब्रेकफास्ट प्रोटीन: 24–25 g
वैराइटी के लिए दालें बदल-बदलकर खाएँ, जैसे एक दिन हरी मूंग, एक दिन मसूर, फिर तड़का अरहर या उड़द। इससे न सिर्फ प्रोटीन, बल्कि तरह-तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी मिलेंगे और बोरियत भी नहीं होगी।
अगर आप प्रोटीन मिथ्स और साइंस को और गहराई से समझना चाहते हैं, तो किताब The China Study इस मामले में काफी मशहूर है, जहाँ हाई एनिमल प्रोटीन इनटेक और डिज़ीज़ेज़ के बीच के लिंक पर बात की गई है।
सोयाबीन से दूरी क्यों ठीक रह सकती है
सोयाबीन का नाम आते ही सबसे पहले याद आता है, "100 g में 52 g प्रोटीन"। नंबर तो बहुत आकर्षक हैं, पर प्रैक्टिकल लेवल पर कुछ बातें सोचने लायक हैं।
- भारत, अमेरिका और यूरोप में सोयाबीन का बड़ा हिस्सा एनिमल फीड के रूप में यूज़ होता है
- इस वजह से इसकी पैदावार बढ़ाने के लिए इसे बड़े स्तर पर जेनेटिकली मॉडिफाई किया गया है
- इसी कारण कई भारतीय रिसर्चर्स और एक्टिविस्ट्स, जैसे राजीव दीक्षित जी, ने सोया और सोया प्रोडक्ट्स से बचने की सलाह दी थी
अगर आपको सोयाबीन सूट करता है और आप विश्वसनीय, नॉन-GMO सोर्स से लेते हैं, तो यह आपकी पर्सनल चॉइस है। लेकिन जब आपके पास राजमा, चना, दाल, दूध, मूंगफली जैसे दर्जनों नेचुरल विकल्प हैं, तो ज़रूरत महसूस ही कम होगी।
कैसे आसानी से दिन भर का प्रोटीन पूरा कर सकते हैं (बिना पाउडर के)
बहुत से लोग अपने लिए प्रोटीन का कोई बहुत बड़ा नंबर सेट कर लेते हैं, फिर जब नॉर्मल खाने से वह पूरा नहीं दिखता, तो फटाफट सप्लीमेंट्स की तरफ भागते हैं।
अगर आप एक एक्टिव, पर नॉर्मल लाइफस्टाइल वाले इंसान हैं, जिम करते हैं या बस रोज़ थोड़ा चलना-फिरना रखते हैं, तो इन 6 सोर्सेस से आपका काम आराम से हो सकता है।
एक सैंपल डे देखिए, जिसमें प्रोटीन पाउडर नहीं है:
- सुबह
- बेसन के 3 चीले + 200 g दही → लगभग 24–25 g प्रोटीन
- दोपहर
- 75–100 g राजमा / काला चना सब्ज़ी + 2 फुलके + थोड़ा दही → लगभग 26–30 g प्रोटीन
- शाम का स्नैक
- 50 g भुना चना + एक मुट्ठी मूंगफली → लगभग 18–20 g प्रोटीन
- रात
- 50 g दाल + 2 फुलके → लगभग 18 g प्रोटीन
- या हल्की दाल-चावल और साथ में गाढ़ी दही
कुल मिलाकर प्रोटीन आसानी से 80 g के आसपास पहुँच सकता है, जो बहुत से लोगों के लिए पर्याप्त से ज़्यादा है।
अगर आप अपने लिए परफेक्ट नंबर समझना चाहते हैं, तो Fit Tuber Hindi का यह वीडियो, कौन से हैं Best Vegetarian Protein Foods?, डिटेल में अलग-अलग एक्टिविटी लेवल के हिसाब से समझाता है कि दिन में कितना प्रोटीन काफ़ी है।
बाहर की वेबसाइट्स, जैसे 6 Carbs with More Protein Than an Egg, भी दिखाती हैं कि बीन्स, दालें, चना, क्विनोआ जैसे कार्ब सोर्सेस में भी अच्छा प्रोटीन होता है। मतलब, कार्ब्स को दुश्मन मानने की ज़रूरत नहीं, बस सही कार्ब्स चुनने की ज़रूरत है।
Also Read: कभी ना खरीदें ये 4 चीज़ें: रोज़ इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स के बेहतर और हेल्दी विकल्पनिष्कर्ष: प्रोटीन के लिए घबराना नहीं, समझदारी से खाना
शाकाहारी होने का मतलब यह बिल्कुल नहीं कि आप हमेशा प्रोटीन डेफिसिट में रहेंगे। अगर आपकी प्लेट में रोज़ाना दालें, राजमा/चना, दूध या दही, मटर, मूंगफली और भुना चना किसी न किसी रूप में मौजूद हैं, तो आपका प्रोटीन अपने आप सेट हो जाएगा।
फोकस बस इतना रखिए कि खाना ज़्यादा से ज़्यादा नेचुरल हो, लोकल हो, और आपका शरीर उसे आराम से डाइजेस्ट कर पाए।
प्रोटीन पाउडर हो या अंडे, दोनों सिर्फ विकल्प हैं, ज़रूरत नहीं। असली ताकत आपकी थाली में रखी इन साधारण दिखने वाली चीज़ों में है।
अगर आप यह 6 फूड्स रेगुलर डाइट का हिस्सा बना लेते हैं, तो आपको रोज़ यह सोचने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी कि आज प्रोटीन कम तो नहीं रह गया।
खुद से एक सवाल पूछिए, अगला किराना लिस्ट बनाते समय इनमें से कौन-कौन सी चीज़ें आप जरूर जोड़ना चाहेंगे?
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