सेक्स के बारे में 10 झूठ जिन्हें आप सच मानते हुए आ रहे हो

10 big myths about sex and their reality


क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे समाज में सेक्स जैसे बेसिक और प्राकृतिक विषय पर इतनी चुप्पी क्यों है? स्कूल के दिनों में जिज्ञासा सबसे ज्यादा होती है, लेकिन कोई जवाब देने वाला नहीं होता। टीचर्स, पेरेंट्स, बड़े-बुजुर्ग... सभी इस बारे में बात करने से कतराते हैं। इसी वजह से आज भी सेक्स और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी मामूली बातों के इर्द-गिर्द ऐसे कई मिथक जिंदा हैं, जो लोगों की जिंदगी मुश्किल में डाल रहे हैं।

यह लेख उन्हीं गलतफहमियों को तोड़ने की एक कोशिश है। हमने इस विषय पर गायनेकोलॉजिस्ट और सेक्सोलॉजिस्ट से की गई चर्चाओं को आधार बनाया है, ताकि आपके सामने पूरी तरह से प्रामाणिक और विश्वसनीय जानकारी रख सकें। तो आइए, बिना किसी झिझक और देरी के, सेक्स से जुड़े उन 10 सबसे कॉमन मिथकों की सच्चाई जानते हैं, जिनके बारे में हर किसी को पता होना चाहिए।

मिथक 1: नीचे के बाल गंदे और अनहाइजीनिक होते हैं, इन्हें हमेशा हटा देना चाहिए

सच्चाई: प्यूबिक हेयर आपकी सुरक्षा करते हैं, इन्हें हटाना जरूरी नहीं है।

यह एक मॉडर्न और बहुत ही गलत धारणा बन गई है। मीडिया और फिल्मों ने इसे इस तरह पेश किया है कि जननांगों के बाल गंदे माने जाने लगे हैं। लोग सोचते हैं कि इंटिमेट होने से पहले इन्हें जरूर हटा लेना चाहिए, वरना साथी को गंदा लगेगा। कुछ लोगों को यह भी डर रहता है कि लंबे बालों से इंफेक्शन हो सकता है।

लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। प्यूबिक हेयर (जननांगों के बाल) प्रकृति का दिया हुआ एक प्रोटेक्टिव लेयर है।

  • इंफेक्शन से बचाव: हमारे शरीर में हर बाल का एक उद्देश्य होता है। जैसे नाक के बाल धूल-मिट्टी को रोकते हैं, वैसे ही प्यूबिक हेयर हानिकारक सूक्ष्म जीवों को शरीर के अंदर जाने से रोकते हैं। ये हेयर फॉलिकल्स एक तेल (सीबम) पैदा करते हैं, जो हानिकारक बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है।

  • STI और UTI का खतरा कम: मॉडर्न डॉक्टर्स मानते हैं कि प्यूबिक हेयर रखने से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का खतरा काफी कम हो जाता है।

  • प्राकृतिक लुब्रिकेंट: सेक्सुअल इंटरकोर्स के दौरान बालों का बालों से घर्षण, स्किन के सीधे घर्षण की तुलना में ज्यादा स्मूथ होता है। इससे रैशेज नहीं पड़ते। ये बाल उस एरिया को ड्राई होने से भी बचाते हैं।

  • शेविंग से खतरा: गायनेकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि इस एरिया को शेव करने से कट्स और छिलने के चांसेस बढ़ जाते हैं, जो खुद इंफेक्शन को न्यौता दे सकता है।

निष्कर्ष: जब तक आप रोज नहाते हैं और उस एरिया की सफाई रखते हैं, तब तक प्यूबिक हेयर को हटाना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। अगर आप पर्सनल प्रेफरेंस के चलते इन्हें हटाना चाहते हैं, तो रेजर की बजाय हल्की कैंची का इस्तेमाल करना ज्यादा सुरक्षित है।

मिथक 2: लिंग का साइज ही सेक्स की सफलता की चाबी है

सच्चाई: भावनात्मक जुड़ाव साइज से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।

लड़कों में यह इनसिक्योरिटी सबसे आम है। उन्हें लगता है कि उनके लिंग का साइज छोटा है और वे अपनी पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे। हैरानी की बात यह है कि "लिंग का साइज कैसे बढ़ाएं?" सेक्सोलॉजी कॉलम्स पर सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल है। डॉक्टरों का कहना है कि लड़के ही इस बात को लेकर ज्यादा सोचते हैं, जबकि ज्यादातर लड़कियों के लिए यह कोई बहुत महत्वपूर्ण मापदंड नहीं है।

  • बायोलॉजिकल तथ्य: महिला की योनी (वजाइना) का पहला 2 इंच का हिस्सा ही सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है और सेक्सुअल स्टिमुलेशन के लिए मुख्य होता है।

  • 2 इंच भी काफी: इसका मतलब यह है कि इरेक्शन के बाद अगर लिंग का साइज 2 इंच भी है (जो कि लगभग सभी का होता ही है), तो भी महिला को संतुष्टि मिल सकती है।

  • नकली उत्पादों से सावधान: मार्केट में मिलने वाली साइज बढ़ाने वाली क्रीम, जेल, गोलियां और तरीके पूरी तरह से झांसेबाजी हैं। इन पर अपना पैसा और समय बर्बाद न करें।

निष्कर्ष: सेक्सुअल इंटरकोर्स की सफलता और आनंद लिंग के साइज पर नहीं, बल्कि दो लोगों के बीच के भावनात्मक बंधन, संचार और आपसी विश्वास पर निर्भर करती है। साइज की चिंता छोड़कर एक प्यार भरे और ईमानदार रिश्ते पर ध्यान दें।

मिथक 3: आई-पिल (इमरजेंसी पिल) एक नॉर्मल गर्भनिरोधक का तरीका है

सच्चाई: आई-पिल सिर्फ इमरजेंसी के लिए है, इसकी आदत नहीं बनानी चाहिए।

बहुत से युवा यह सोचते हैं कि अनप्रोटेक्टेड सेक्स कर लिया तो कोई बात नहीं, बाद में आई-पिल ले लेंगे। यह सोचना बिल्कुल गलत है।

  • प्रभावशीलता समय के साथ घटती है: यह सच है कि अनप्रोटेक्टेड इंटरकोर्स के 72 घंटे के अंदर आई-पिल लेने से प्रेग्नेंसी के चांसेस बहुत कम हो जाते हैं। लेकिन इसकी सफलता दर समय के साथ तेजी से गिरती है। 24 घंटे के अंदर लेने पर यह 95% प्रभावी है, एक दिन बाद 85% और दो दिन बाद सिर्फ 58% ही रह जाती है।

  • गंभीर साइड इफेक्ट्स: आई-पिल में हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसे रेगुलरली लेने से पाचन संबंधी समस्याएं, स्किन एलर्जी, हार्मोनल असंतुलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

  • STI से कोई बचाव नहीं: सबसे महत्वपूर्ण बात - आई-पिल आपको सिर्फ अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाती है, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) से बिल्कुल नहीं। STI से बचाव के लिए कंडम ही एकमात्र कारगर तरीका है।

निष्कर्ष: आई-पिल का नाम ही इमरजेंसी पिल है। इसे एक नियमित गर्भनिरोधक की तरह इस्तेमाल न करें। सेफ सेक्स के लिए कंडम सबसे बेहतर और सुरक्षित विकल्प है।

मिथक 4: पब्लिक टॉयलेट सीट पर बैठने से सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (STI) हो जाती है

सच्चाई: यह लगभग नामुमकिन है। STI ज्यादातर स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट से फैलती हैं।

यह मिथक इतना कॉमन है कि लोग सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करने से डरते हैं।

  • वायरस ज्यादा देर जीवित नहीं रहते: STI फैलाने वाले बैक्टीरिया या वायरस टॉयलेट सीट जैसी हार्ड सरफेस पर ज्यादा देर तक जीवित नहीं रह पाते।

  • संक्रमण का असली रास्ता: STI मुख्य रूप से जेनिटल-टू-जेनिटल कॉन्टैक्ट, ओरल-टू-जेनिटल कॉन्टैक्ट, या अनप्रोटेक्टेड सेक्स के दौरान शारीरिक तरल पदार्थों के आदान-प्रदान से फैलती हैं।

निष्कर्ष: पब्लिक टॉयलेट से STI होने की आशंका न के बराबर है। फिर भी, सावधानी के तौर पर आप टॉयलेट सीट को टिश्यू पेपर से पोंछकर इस्तेमाल कर सकते हैं। असली सुरक्षा तो अनप्रोटेक्टेड सेक्स से बचने और कंडम के इस्तेमाल में है।

मिथक 5: "पुल आउट मेथड" या बाहर निकालने की विधि प्रेग्नेंसी रोकने का एक सुरक्षित तरीका है

सच्चाई: यह बहुत ही रिस्की और अनिश्चित तरीका है।

इस मेथड में पुरुष स्खलन से ठीक पहले लिंग को बाहर निकाल लेता है। लोग इसे इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बिना कंडम के सेक्स में ज्यादा मजा आता है।

  • प्री-इजैकुलेट फ्लूइड में स्पर्म: इजैकुलेशन से पहले भी लिंग से एक द्रव (प्री-कम) निकलता है, जिसमें स्पर्म हो सकते हैं। सिर्फ एक स्वस्थ स्पर्म ही प्रेग्नेंसी के लिए काफी है।

  • समय पर निकाल पाना मुश्किल: स्खलन की प्रक्रिया पर पूरा नियंत्रण रख पाना हमेशा संभव नहीं होता। एक सेकंड की देरी भी प्रेग्नेंसी का कारण बन सकती है।

  • सफलता दर कम: एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस मेथड की सफलता दर लगभग 80% है, जो कि कंडम (98%) के मुकाबले बहुत कम है।

  • STI से कोई सुरक्षा नहीं: यह तरीका आपको सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से बिल्कुल भी नहीं बचाता।

निष्कर्ष: थोड़े से ज्यादा आनंद के लिए इतना बड़ा रिस्क लेना बुद्धिमानी नहीं है। कंडम का इस्तेमाल सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद तरीका है।

मिथक 6: दो कंडम पहनने से मिलती है डबल प्रोटेक्शन

सच्चाई: दो कंडम पहनने से फटने का खतरा और बढ़ जाता है।

सुनने में यह लॉजिकल लगता है कि एक कंडम के ऊपर दूसरा कंडम पहन लेने से अगर एक फटा तो दूसरा बचा लेगा। लेकिन एक्चुअल में ऐसा होता नहीं है।

  • घर्षण बढ़ता है: जब दो कंडम एक-दूसरे के संपर्क में होते हैं (जैसे एक के ऊपर एक), तो उनके बीच घर्षण पैदा होता है। इस घर्षण की वजह से एक नहीं, बल्कि दोनों कंडम के फटने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

निष्कर्ष: प्रोटेक्शन के लिए हमेशा एक ही क्वालिटी कंडम का सही तरीके से इस्तेमाल करें। दो कंडम का इस्तेमाल नुकसानदेह साबित हो सकता है।

मिथक 7: पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से प्रेग्नेंसी नहीं होती, इसलिए कंडम की जरूरत नहीं

सच्चाई: प्रेग्नेंसी का खतरा कम जरूर होता है, लेकिन शून्य नहीं होता। और कंडम STI से बचाने के लिए जरूरी है।

यह एक बहुत ही आम और खतरनाक मिथक है।

  • प्रेग्नेंसी का खतरा: गायनेकोलॉजिस्ट्स कहते हैं कि प्रेग्नेंसी से बचने का कोई "पूरी तरह सुरक्षित दिन" नहीं होता। स्पर्म शरीर के अंदर 5 दिनों तक जीवित रह सकता है। इसलिए, अगर पीरियड्स के ठीक बाद ओवुलेशन जल्दी हो जाए, तो पीरियड्स के दौरान पहुंचा स्पर्म भी प्रेग्नेंसी का कारण बन सकता है।

  • इंफेक्शन का खतरा: पीरियड ब्लड में मौजूद माइक्रोऑर्गेनिज्म से पुरुष के जननांगों पर इंफेक्शन हो सकता है। इसके विपरीत, अगर पुरुष को कोई STI है, तो पीरियड ब्लड के जरिए वह इंफेक्शन महिला के शरीर में आसानी से प्रवेश कर सकता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, पीरियड्स में बिना कंडम के सेक्स करने से हेपेटाइटिस और HIV जैसे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।

  • आयुर्वेद की दृष्टि: आयुर्वेद के अनुसार, पीरियड्स के पहले तीन दिन तो भूलकर भी सेक्स नहीं करना चाहिए। इस दौरान महिला का शरीर बहुत कमजोर होता है और ऐसे में संभोग करने से एंडोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं।

निष्कर्ष: पीरियड्स के दौरान भी सेक्स करते समय कंडम का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से करना चाहिए। यह न सिर्फ अनचाही प्रेग्नेंसी, बल्कि गंभीर इंफेक्शन से भी बचाता है।

मिथक 8: वियाग्रा को मजे के लिए एक रिक्रिएशनल ड्रग की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है

सच्चाई: वियाग्रा एक गंभीर दवा है, जिसे बिना डॉक्टर की सलाह के इस्तेमाल करना खतरनाक है।

युवा वियाग्रा को सेक्स की क्षमता बढ़ाने वाली एक फन टैबलेट समझने की भूल कर रहे हैं।

  • मूल उद्देश्य: वियाग्रा खासतौर पर इरेक्टाइल डिसफंक्शन (नपुंसकता) से पीड़ित लोगों के लिए बनाई गई थी।

  • गंभीर साइड इफेक्ट्स: इसे बिना जरूरत के लेने पर सिरदर्द, शरीर में गर्मी, हॉट फ्लैशेस और ब्लड प्रेशर में गिरावट जैसे साइड इफेक्ट हो सकते हैं। अल्कोहल के साथ लेने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकती है।

  • लत और निर्भरता: वियाग्रा एक तरह की ड्रग है। बार-बार इस्तेमाल करने से शरीर को इसकी आदत पड़ जाती है और धीरे-धीरे बिना वियाग्रा के इरेक्शन होना बंद हो सकता है, यानी परमानेंट इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है।

निष्कर्ष: वियाग्रा को कभी भी बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के न लें। अगर सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ाना चाहते हैं, तो प्राकृतिक विकल्प जैसे शिलाजीत, अश्वगंधा, सफेद मूसली का सेवन कर सकते हैं। कीगल एक्सरसाइज भी इरेक्टाइल डिसफंक्शन में बहुत फायदेमंद मानी जाती है।

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मिथक 9: सेक्स के बाद पेशाब कर लेने से प्रेग्नेंसी नहीं होती

सच्चाई: पेशाब करने से सिर्फ UTI का खतरा कम होता है, प्रेग्नेंसी का नहीं।

यह मिथक शरीर रचना (Anatomy) की गलत समझ पर आधारित है।

  • UTI से बचाव: सेक्स के बाद पेशाब करना एक अच्छी आदत है। इससे यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) का खतरा कम हो जाता है, खासकर महिलाओं में।

  • अलग-अलग मार्ग: महिलाओं में यूरिनरी ओपनिंग (मूत्रमार्ग) और वजाइनल ओपनिंग (योनि) अलग-अलग होते हैं। स्पर्म योनि में प्रवेश करता है, न कि मूत्रमार्ग में। इसलिए पेशाब करने से योनि में मौजूद स्पर्म पर कोई असर नहीं पड़ता।

  • योनि को धोना (Douching): कुछ लोग सोचते हैं कि सेक्स के बाद योनि को धो लेने से स्पर्म बाहर निकल जाएंगे। यह भी गलत है। ऐसा करने से स्पर्म और अंदर धकेल सकते हैं। नियमित रूप से डूशिंग करने से योनि का प्राकृतिक पीएच लेवल बिगड़ जाता है, जिससे बैक्टीरियल या यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है। योनि एक सेल्फ-क्लींजिंग ऑर्गन है।

निष्कर्ष: अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए पेशाब करना या योनि को धोना बेकार के तरीके हैं। कंडम ही एकमात्र कारगर उपाय है।

मिथक 10: पहली बार सेक्स करने पर खून जरूर आना चाहिए

सच्चाई: खून आना जरूरी नहीं है, और न आना पूरी तरह से नॉर्मल है।

यह मिथक "वर्जिनिटी" की गलत परिभाषा पर टिका है। लोग सोचते हैं कि पहले संभोग के दौरान हाइमन (योनि की झिल्ली) का फटना और खून बहना ही कुंवारी होने का प्रमाण है।

  • हाइमन लचीला होता है: हाइमन एक पतली और लचीली झिल्ली होती है। यह बिना सेक्स के भी कई कारणों से फट सकती है या स्ट्रेच हो सकती है, जैसे - साइकिल चलाना, घुड़सवारी करना, जिम में स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज, टैम्पोन या मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल, या मास्टरबेशन।

  • ब्लीडिंग न होना सामान्य है: इसलिए, अगर किसी लड़की के पहले इंटरकोर्स के बाद ब्लीडिंग नहीं होती, तो यह बिल्कुल नॉर्मल है। इस आधार पर किसी लड़की को जज करना पूरी तरह से गलत है।

निष्कर्ष: ब्लीडिंग होना या न होना, किसी की वर्जिनिटी का पैमाना नहीं है। लड़कों और लड़कियों दोनों को यह बात समझनी चाहिए और इस तरह की गलतफहमियों से ऊपर उठना चाहिए।

बोनस: मिथक 11 - मास्टरबेशन हानिकारक है और शरीर को कमजोर बनाता है

सच्चाई: आधुनिक विज्ञान इसे एक नॉर्मल और हेल्दी प्रैक्टिस मानता है, लेकिन आयुर्वेद इसके अत्यधिक इस्तेमाल के खिलाफ है।

इस विषय पर दोनों पक्षों की राय जानना जरूरी है।

  • मॉडर्न साइंस की राय: आधुनिक चिकित्सा विज्ञान मानता है कि मास्टरबेशन एक प्राकृतिक और सामान्य क्रिया है। यह तनाव कम करने, नींद में सुधार करने और शरीर को अपने यौन अंगों को समझने में मदद कर सकता है।

  • आयुर्वेद की राय: आयुर्वेद इसके विपरीत, मास्टरबेशन को शरीर की "ओज" या जीवन शक्ति को कम करने वाला मानता है। आयुर्वेद के अनुसार, अत्यधिक मास्टरबेशन करने से शरीर अंदर से खोखला और कमजोर हो सकता है।

निष्कर्ष: यह व्यक्ति की निजी पसंद और अपने शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। संयम बरतना और किसी भी चीज की अति से बचना ही बेहतर है।

अंतिम शब्द

सेक्स एजुकेशन कोई शर्म की बात नहीं है, बल्कि एक जरूरत है। इन मिथकों को तोड़कर और सही जानकारी फैलाकर हम एक स्वस्थ, जिम्मेदार और खुशहाल समाज का निर्माण कर सकते हैं। याद रखें, अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो किसी क्वालिफाइड डॉक्टर या विशेषज्ञ से बात करने में कभी संकोच न करें। जागरूकता ही सुरक्षा की पहली सीढ़ी है।

यह लेख सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए कृपया किसी योग्य चिकित्सक से सलाह लें।

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