रोटी, प्याज, केला: 90% लोग गलत तरीके से खाते हैं, बढ़ता है मोटापा-गैस-एसिडिटी का खतरा!

right way to eat banana, onion and bread

हम सभी की दिनचर्या में कुछ चीजें ऐसी शामिल हैं जिन्हें हम बिना किसी सोच-विचार के रोज खाते हैं। हमें लगता है कि ये चीजें सेहतमंद हैं, लेकिन फिर भी हमारी समस्याएं जस की तस बनी रहती हैं। वजन कम नहीं होता, दिनभर थकान रहती है, और ऊपर से गैस-एसिडिटी हमें परेशान करती रहती है।

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? जवाब है - खाने का गलत तरीका।

इस लेख में, हम तीन ऐसी ही चीजों पर गहराई से बात करेंगे जिन्हें 90% लोग रोज खाते हैं और उन्हें सेहतमंद समझते हैं, लेकिन गलत तरीके से खाने के कारण यही चीजें शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। इन्हें सही तरीके से खाना शुरू कर दिया जाए, तो ये ब्लड शुगर से लेकर कोलेस्ट्रॉल, सेक्स पावर से लेकर कैंसर तक, हर समस्या में फायदा पहुंचा सकती हैं। आइए, बिना देरी किए शुरू करते हैं।

भाग 1: रोटी - भारतीय थाली का राजा या सेहत का दुश्मन?

रोटी भारतीय डाइट का एक अभिन्न अंग है। कुछ लोग तो दिन में तीन-तीन बार रोटी खाते हैं। लेकिन आजकल एक आम शिकायत यह सुनने को मिलती है कि रोटी खाने के बाद पेट में गैस बन जाती है, पेट फूल जाता है, सीने में जलन होती है, या भारीपन महसूस होता है। लोग सोचते हैं कि कहीं उन्हें ग्लूटेन एलर्जी तो नहीं हो गई। लेकिन, अक्सर समस्या रोटी में नहीं, बल्कि उसे बनाने के तरीके में होती है।

गलत तरीका: अधपकी रोटी का सेवन

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम समय बचाने के चक्कर में रोटी को तवे पर बहुत कम सेकते हैं और फिर सीधा गैस की आंच पर रख देते हैं। इससे रोटी महज एक मिनट में फूलकर तैयार हो जाती है। लेकिन, यह रोटी दिखने में भले ही पकी हुई लगे, असल में अधपकी होती है।

अगर आप इस तरह बनी रोटी को ऊपर से तोड़कर देखेंगे, तो पाएंगे कि अंदर से आटा कच्चा है। यह ठीक वैसा ही है जैसे आलू को ऊपर से भून लिया जाए, लेकिन अंदर से वह कच्चा रह जाए। यह अधपका आटा पेट में जाकर गैस, IBS (इरिटेबल बाउल सिंड्रोम) और एसिडिटी जैसी समस्याओं को जन्म देता है।

सही तरीका: रोटी बनाने की सही विधि

  1. तवे पर ही अच्छी तरह सेकें: हमारे बुजुर्ग पूरी रोटी तवे पर ही सेकते थे। गैस या चूल्हे पर सीधे डालने का चलन बाद में आया। रोटी को तवे पर धीरे-धीरे और अच्छी तरह सेकें। भले ही इसमें दो-तीन मिनट ज्यादा लगें, लेकिन रोटी बिल्कुल समान रूप से पकेगी और पचने में आसान होगी।

  2. गैस की सीधी आंच से बचें: LPG गैस की सीधी लपटों पर रोटी सेकने से उसमें हानिकारक तत्व शामिल हो सकते हैं। अध्ययन भी यही कहते हैं कि जब खाना LPG की सीधी लपटों के संपर्क में आता है, तो हानिकारक केमिकल्स पैदा हो सकते हैं। इसलिए हर तरह से देखा जाए तो रोटी को सीधी गैस की आंच पर सेकना ठीक नहीं है।

  3. तवे पर ही फुलाएं रोटी: अगर आप रोटी को तवे पर ही धीरे-धीरे प्रेस करेंगे और सही तरीके से सेकेंगे, तो वह तवे पर ही अच्छी तरह फूल भी जाएगी।

रोटी से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण टिप्स

  • सही तवा चुनें: रोटी हमेशा लोहे के तवे पर बनानी चाहिए, नॉन-स्टिक तवे पर नहीं। नॉन-स्टिक कोटिंग (जैसे PTFE) से निकलने वाले हानिकारक फ्यूम्स सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

  • आटा गूंथने का तरीका: आटे को जल्दबाजी में नहीं, बल्कि अच्छे से गूंथना चाहिए। इससे रोटी न सिर्फ नरम बनेगी, बल्कि पचने में भी आसान होगी।

  • दूध के साथ गूंथने में सावधानी: रोटी को नरम बनाने के लिए कई लोग आटे में दूध मिलाते हैं। हां, इससे रोटी नरम जरूर बनती है, लेकिन अगर आप इस दूध से गूंथी हुई रोटी को नमकीन सब्जी या दाल के साथ खाएंगे, तो इससे स्किन प्रॉब्लम हो सकती हैं। आयुर्वेद के अनुसार, दूध के साथ नमक वाली चीज खाने से खून गंदा होता है, जिसका असर त्वचा पर दिखाई देता है। इसलिए दूध से आटा गूंथें तभी, जब रोटी मीठी चीज (जैसे दूध, हलवा) के साथ खानी हो।

  • आटे को आराम दें: आटा गूंथने के बाद उसे कम से कम 10-15 मिनट के लिए ढककर रख दें। इससे आटा थोड़ा फर्मेंट हो जाता है और उसमें अच्छे बैक्टीरिया पनपते हैं, जो रोटी को पचाने में मदद करते हैं। सब्जी बनाने से पहले आटा गूंथकर रख दें, फिर सब्जी बनाएं और अंत में रोटी बनाएं।

  • रोटी खाने का तरीका: कई लोग रोटी के बड़े-बड़े टुकड़े करके, उसे दो-तीन बार फोल्ड करके थोड़ी सी सब्जी लगाकर खा जाते हैं। यह गलत तरीका है। रोटी का निवाला छोटा होना चाहिए और उसके साथ दाल या सब्जी ज्यादा लगानी चाहिए। आजकल के गतिहीन जीवनशैली को देखते हुए, अनाज कम करके सब्जियों को अपनी डाइट में बढ़ाने की जरूरत है। अगर आप चार रोटी खाते हैं, तो तीन कर दें और सब्जी एक कटोरी की जगह दो कटोरी लें।

  • अनाज में विविधता लाएं: हमेशा गेहूं की ही रोटी क्यों खाएं? एक ही तरह का अनाज रोज-रोज खाने से शरीर उसके पोषक तत्वों को अवशोषित करना बंद कर देता है। अनाज में विविधता लानी चाहिए। गर्मियों में ज्वार या जौ की रोटी खाएं, सर्दियों में बाजरे या रागी की। जितना वैरायटी का अनाज खाएंगे, उतनी आपकी आंतें स्वस्थ रहेंगी।

  • मोटी रोटी है फायदेमंद: जो लोग ज्यादा पतली रोटी खाना पसंद करते हैं, वह भी सही नहीं है। मोटी रोटी (बेलते समय ज्यादा पतली न करें) ज्यादा देर तक पेट भरा रखती है, जिससे हम फालतू की मंचिंग (बार-बार कुछ खाने) से बच जाते हैं।

  • रोटी के अलावा दलिया: कभी-कभी गेहूं की रोटी की जगह गेहूं का दलिया खा लेना चाहिए। फर्क समझिए: एक तरफ 50 किलो की बर्फ की बड़ी सिल्ली है और दूसरी तरफ 50 किलो के बर्फ के छोटे-छोटे क्यूब्स। दोनों का वजन बराबर है, लेकिन क्यूब्स जल्दी पिघल जाएंगे। यही फर्क है गेहूं की रोटी और गेहूं के दलिए में। दलिया शरीर के लिए जल्दी पचने योग्य और हल्का होता है।

भाग 2: प्याज - सब्जी का तड़का या सेहत का खजाना?

प्याज हमारे खाने का स्वाद बढ़ाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रोज सिर्फ एक प्याज खाने से बढ़ी हुई ब्लड शुगर कम हो सकती है, नसों में जमा कोलेस्ट्रॉल घट सकता है और पुरुषों की सेक्स पावर बढ़ सकती है? प्याज शुगर, कोलेस्ट्रॉल जैसी 20 बीमारियों में औषधि का काम करता है।

लेकिन, एक सवाल उठता है: "भाई, हम तो दिन में चार-पांच प्याज खा जाते हैं, फिर भी कोई फायदा नहीं दिखता?"

जवाब फिर से वही है - खाने का गलत तरीका।

गलत तरीका: प्याज को ज्यादा भूनना या पकाना

हम प्याज को तड़के में इतनी देर तक भूनते हैं जब तक कि वह भूरा न हो जाए। हां, इससे सब्जी का स्वाद बढ़ जाता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इस तरह से पका हुआ प्याज खाना वजन बढ़ाता है और शरीर को सुस्त और आलसी बनाता है।

सही तरीका: कच्चे प्याज का सेवन

प्याज के सारे फायदे आपको तभी मिलते हैं, जब आप उसे कच्चा और ताजा सलाद के रूप में खाते हैं। जब हम प्याज काटते हैं तो वह हमें रुला देता है, ऐसा इसलिए क्योंकि उसमें बहुत ही शक्तिशाली तत्व होते हैं जो कच्चा खाने पर शरीर में दवा की तरह काम करते हैं।

कच्चे प्याज के चौंकाने वाले स्वास्थ्य लाभ (वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर)

  • कैंसर से बचाव: 2014 और 2015 में हुई 42 अलग-अलग स्टडीज से यह बात प्रमाणित हुई है कि जो लोग रोज कच्चा प्याज खाते हैं, उन्हें कैंसर होने की संभावना काफी कम हो जाती है।

  • ब्लड शुगर कंट्रोल: कच्चा प्याज बढ़ी हुई ब्लड शुगर के लिए रामबाण है। 2010 की एक स्टडी में, मधुमेह के रोगियों को 100 ग्राम कच्चा प्याज खिलाया गया और सिर्फ 4 घंटे के अंदर ही उनका ब्लड शुगर लेवल नीचे आ गया।

  • कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर: एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि रोज सिर्फ 80 ग्राम कच्चा प्याज खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हुआ। 2015 की एक स्टडी में यह देखा गया कि कच्चा प्याज खाने से लोगों का ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगा।

  • सेक्स पावर: कच्चा प्याज सेक्स पावर बढ़ाता है, लेकिन साथ ही यह सेक्सुअल उत्तेजना (Libido) भी बढ़ाता है। इसीलिए, आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाले लोग अक्सर प्याज से परहेज करते हैं।

प्याज खाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • ताजा काटकर खाएं: प्याज को काटकर ज्यादा देर तक न रखें। जब प्याज को काटा जाता है, तो उसमें से जो शक्तिशाली रस निकलते हैं, वही औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। काटे हुए प्याज को रख देने से उनका असर कम होने लगता है। इसलिए प्याज को ताजा काटकर, 5-10 मिनट के अंदर ही खा लेना चाहिए।

  • तड़के में हल्का भूनें: अगर आप प्याज का तड़का लगा रहे हैं, तो उसे हल्का ही भूनें, ज्यादा भूरा न करें। स्वाद के लिए तो यह ठीक है, लेकिन सेहत के सारे फायदे आपको कच्चे प्याज से ही मिलेंगे।

भाग 3: केला - एनर्जी बूस्टर या वजन बढ़ाने वाला फल?

सभी फलों में केला कुछ खास है। यह सालोंभर आसानी से मिल जाता है, सस्ता होता है और पेट भरता है। जब दिन के बीच में अचानक भूख लगे, तो एनर्जी बार ढूंढने की जरूरत नहीं, बस दो केले खा लेने चाहिए। दुनिया के टॉप टेनिस प्लेयर्स भी मैच के बीच में एनर्जी के लिए केला ही खाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि केला तुरंत एनर्जी देता है और पचाने में बहुत आसान होता है। कब्ज दूर करने के लिए भी केला टॉप पर आता है।

लेकिन, सवाल यह है कि कौन सा केला?

गलत तरीका: अधपका (हरा-पीला) केला खाना

आजकल बाजार में इतने हरे-पीले केले बिक रहे हैं कि पता ही नहीं चलता कि वे सब्जी के लिए हैं या खाने के लिए। ऐसे अधपके केले खाने से उल्टा कब्ज हो सकता है और इनका स्वाद भी केले जैसा नहीं, बल्कि स्टार्च जैसा होता है। इनमें केले वाली मिठास नहीं होती।

कुछ लोग सोचते हैं, "मैं तो हरा केला इसीलिए खाता हूं क्योंकि इसमें चीनी कम है, मैं डायबिटिक हूं।" लेकिन, यह गलतफहमी है।

सही तरीका: पूरा पका हुआ केला खाना

पके हुए केले की पहचान यह है कि वह मीठा होगा और यह प्राकृतिक फल शुगर है, जिसे शरीर आसानी से पचा लेता है।

पके केले की पहचान:

  1. ब्लैक स्पॉट्स: असली पके केले की स्किन पर काले धब्बे (Brown Spots) होते हैं। इन धब्बों का मतलब यह नहीं कि केला अंदर से सड़ा हुआ है। अंदर से वह बिल्कुल सही निकलेगा। अगर केले पर कोई धब्बा नहीं है और वह पूरा एक समान पीला है, तो समझ लीजिए कि वह अभी पूरा नहीं पका है।

  2. डंठल काला पड़ना: केले का डंठल काला पड़ने लगे, तो समझ जाइए कि केला पक गया है। पके केले डंठल से आसानी से अलग होने लगते हैं।

पके केले के फायदे (वैज्ञानिक तथ्यों के साथ)

  • ब्लड शुगर कंट्रोल: स्टडीज कहती हैं कि केला मीठा होने के बावजूद ब्लड शुगर को कम करता है। इसके दो मुख्य कारण हैं: पहला, इसमें घुलनशील फाइबर होता है जो ब्लड शुगर को तेजी से नहीं बढ़ने देता। दूसरा, पके केले में अधपके केले के मुकाबले बहुत ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो ब्लड शुगर को कम करने में मदद करते हैं।

  • ब्लड प्रेशर और हृदय स्वास्थ्य: पके केले में पोटैशियम भरपूर मात्रा में होता है, जो हाई ब्लड प्रेशर, हाई टेंशन और हार्ट को हेल्दी रखने में कारगर साबित होता है।

  • प्राकृतिक एंटासिड: जब कभी सुबह उठते ही एसिडिटी महसूस हो, खट्टे डकार आएं या सीने में जलन हो, तो एंटासिड गोली लेने के बजाय एक केला खा लें। तुरंत आराम मिलेगा। केले की तासीर ठंडी होती है और यह फूड पाइप और आंतों को लुब्रिकेट करता हुआ जाता है।

  • आंतों के लिए वरदान: आजकल की अनहेल्दी डाइट की वजह से आंतों में छोटे-छोटे अल्सर हो जाते हैं। केला ठंडा, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होने के कारण आंतों के लिए वरदान साबित होता है।

केला खाते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • रात में न खाएं: केला ठंडा और कफकारी है, इसलिए इसे शाम ढलने के बाद नहीं खाना चाहिए। रात को केला खाने से सुबह गला खराब हो सकता है या जुकाम हो सकता है।

  • वजन घटाना है या बढ़ाना?: एक-दो केले खाने से वजन नहीं बढ़ता। अगर वजन घटाना है, तो केले पर थोड़ी सी काली मिर्च डालकर खाएं। अगर वजन बढ़ाना है, तो केले को घी और शक्कर के साथ या पीनट बटर के साथ मिलाकर खाएं।

  • छिलके को न फेंकेें: केले के छिलके में केले से भी ज्यादा कैल्शियम और पोटैशियम पाया जाता है। अगली बार केला खाने के बाद छिलके को चम्मच से कुरेदकर उसका हल्का सा हिस्सा भी साथ में खा लें।

केले को लेकर एक महत्वपूर्ण चेतावनी

आजकल केलों को कार्बाइड जैसे केमिकल्स का इस्तेमाल करके जबरदस्ती पकाया जाता है। कच्चे केलों को कार्बाइड मसाले वाले पानी में डुबो दिया जाता है, जिससे एक हफ्ते में पकने वाला केला एक दिन में पीला हो जाता है। ऐसे में, बाजार से बिना धब्बे वाले केले मिलें, तो उन्हें खरीदकर एक-दो दिन रख दें। जब उन पर प्राकृतिक रूप से काले धब्बे आ जाएं और डंठल काला पड़ने लगे, तभी उन्हें खाएं।

निष्कर्ष: छोटे बदलाव, बड़े परिणाम

दोस्तों, जैसा कि हमने देखा, खाना वही है, लेकिन उसे बनाने और खाने का तरीका सही होना चाहिए। जब शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलता, तभी बाल झड़ते हैं, थकान रहती है और बीमारियां घेरती हैं।

  • रोटी को तवे पर अच्छी तरह पकाएं, अनाज में विविधता लाएं।

  • प्याज को कच्चा और ताजा काटकर सलाद के रूप में खाएं।

  • केले को पूरा पका हुआ (ब्लैक स्पॉट्स वाला) ही खरीदें और खाएं।

ये छोटे-छोटे बदलाव आपकी सेहत में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। इन तीनों चीजों को सही तरीके से खाकर आप न सिर्फ गैस-एसिडिटी और वजन बढ़ने की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ और ऊर्जावान जीवन जी सकते हैं।

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