दोस्तों, अगर आप भी ओमेगा-3 की कमी पूरी करने के लिए महंगे फिश ऑयल कैप्सूल खरीद-खरीदकर थक गए हैं और उनका कोई खास फायदा नहीं देख रहे, तो यह लेख आपके लिए ही है। क्या आप जानते हैं कि रिसर्च कहती हैं कि ज़्यादातर फिश ऑयल कैप्सूल जब तक आप तक पहुंचते हैं, खराब हो चुके होते हैं? इसका मतलब, आप अपनी सेहत सुधारने की जगह, अपना पैसा और सेहत दोनों खराब कर रहे हैं।
लेकिन चिंता की कोई बात नहीं! प्रकृति ने हमें ओमेगा-3 के इतने समृद्ध शाकाहारी स्रोत दिए हैं कि अगर आप उन्हें अपनी डाइट में शामिल कर लें, तो कभी भी ओमेगा-3 की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। आज हम जानेंगे ओमेगा-3 के ऐसे ही 10 गजब के देसी और शाकाहारी स्रोतों के बारे में, जो न सिर्फ आपकी बॉडी को जरूरी पोषण देंगे, बल्कि दिल, दिमाग, जोड़ों और त्वचा से जुड़ी समस्याओं को जड़ से ठीक करने में भी मदद करेंगे।
ओमेगा-3 क्या है और यह हमारे लिए इतना ज़रूरी क्यों है?
ओमेगा-3 एक एसेंशियल फैटी एसिड है, जिसका मतलब है कि हमारी बॉडी इसे खुद नहीं बना सकती। इसे हमें बाहरी स्रोतों यानी अपने आहार से ही लेना पड़ता है। यह एक माइक्रो-न्यूट्रिएंट है, लेकिन इसकी भूमिका बहुत बड़ी है।
वैज्ञानिक शोधों ने इसे साबित किया है कि ओमेगा-3:
दिल की सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी है।
दिमाग के विकास और कार्यप्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार है।
जोड़ों के दर्द में आराम दिलाता है और उन्हें लुब्रिकेट करता है।
त्वचा और बालों को स्वस्थ रखता है।
डायबिटीज और मोटापे को नियंत्रित करने में सहायक है।
कैंसर होने का खतरा 55% तक कम कर देता है।
गर्भावस्था के दौरान लेने पर शिशु के दिमागी विकास को बढ़ावा देता है।
फिश ऑयल कैप्सूल: क्यों हैं एक बड़ा झूठ?
जब भी ओमेगा-3 की बात होती है, हमारे दिमाग में सबसे पहले फिश ऑयल कैप्सूल का ही ख्याल आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कैप्सूल ओमेगा-3 का कोई अच्छा स्रोत नहीं हैं?
इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है फिश ऑयल का बहुत जल्दी खराब हो जाना। फिश ऑयल को निकालने के बाद, जब तक वह प्रोसेसिंग, पैकिंग और आप तक पहुंचता है, तब तक वह ऑक्सीडाइज हो चुका होता है, यानी खराब हो चुका होता है। एक स्टडी के मुताबिक, 83% फिश ऑयल कैप्सूल का तेल पैकिंग से पहले ही खराब हो जाता है।
इसीलिए, 2018 और 2021 में हुई बड़ी-बड़ी स्टडीज (जिनमें हजारों लोग शामिल थे) में यह बात सामने आई कि फिश ऑयल सप्लीमेंट्स का हार्ट अटैक और अन्य बीमारियों को रोकने में कोई खास फायदा नहीं देखा गया। बल्कि, कुछ स्टडीज तो यह कहती हैं कि खराब ऑयल शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
इसके अलावा, पर्यावरण और नैतिकता के नज़रिए से भी यह अच्छा विकल्प नहीं है। ओमेगा-3 निकालने के लिए मछलियों की चटनी बना दी जाती है, जो एक बेहद दुखद प्रक्रिया है।
ओमेगा-3 की कमी का असली कारण: रिफाइंड ऑयल
हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी सिर्फ इसलिए नहीं होती क्योंकि हम उसे नहीं खा रहे, बल्कि इसका सबसे बड़ा कारण है रिफाइंड ऑयल का अत्यधिक इस्तेमाल।
दरअसल, रिफाइंड ऑयल में ओमेगा-6 फैटी एसिड्स बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। हमारे शरीर में ओमेगा-3 और ओमेगा-6, दोनों को एब्जॉर्ब करने के लिए एक ही एंजाइम जिम्मेदार होता है। जब आप रिफाइंड ऑयल के जरिए ओमेगा-6 की बाढ़ शरीर में ले आते हैं, तो यह एंजाइम ओमेगा-6 को ही एब्जॉर्ब करने में व्यस्त हो जाता है और ओमेगा-3 पीछे रह जाता है।
आदर्श स्थिति में ओमेगा-6 और ओमेगा-3 का अनुपात 1:1 या अधिक से अधिक 2:1 होना चाहिए। लेकिन आजकल की डाइट में यह अनुपात 30:1 तक पहुंच गया है! यही कारण है कि शरीर में सूजन, हार्ट ब्लॉकेज और ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
समाधान: रिफाइंड ऑयल का इस्तेमाल बंद करें और देसी, कच्ची घानी (कोल्ड-प्रेस्ड) तेलों जैसे सरसों का तेल, नारियल तेल आदि की तरफ लौटें।
Also Read: ड्राई स्किन से छुटकारा पाएं: एक वैद्यजी ने बताए 4 आजमाए हुए आयुर्वेदिक उपायओमेगा-3 के 10 गजब के शाकाहारी और देसी स्रोत (Vegetarian Sources of Omega-3 in Hindi)
अब बारी आती है उन 10 जबरदस्त शाकाहारी चीजों की, जो ओमेगा-3 से भरपूर हैं और आपको फिश ऑयल कैप्सूल की जरूरत ही नहीं पड़ने देंगी।
1. अलसी के बीज (Flaxseeds) - ओमेगा-3 का राजा
अलसी के बीजों को ओमेगा-3 का सबसे अच्छा प्लांट सोर्स माना जाता है।
ओमेगा-3 की मात्रा: सिर्फ 1 बड़े चम्मच अलसी में लगभग 2350 mg ओमेगा-3 होता है, जो दैनिक जरूरत से लगभग दोगुना है।
अन्य पोषक तत्व: इसमें प्रोटीन, फाइबर, कॉपर, मैग्नीशियम जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी भरपूर होते हैं।
फायदे:
दिल की नसों में जमे कोलेस्ट्रॉल को कम करती है।
ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखने में मदद करती है।
घुटनों की ग्रीसिंग बढ़ाकर जोड़ों के दर्द में आराम देती है।
सॉल्युबल और इनसॉल्युबल फाइबर की मौजूदगी के कारण वजन कम करने और कब्ज दूर करने में सहायक है।
कैसे खाएं?
अलसी को हल्का सा ड्राई रोस्ट करके पाउडर बना लें और इस पाउडर को आटे में मिलाकर रोटी बनाएं। (5 किलो आटे में 250 ग्राम अलसी का पाउडर मिलाएं)।
रोस्टेड अलसी को सलाद, दही या शेक में डालकर खाएं। ध्यान रहे, इन्हें अच्छी तरह चबा-चबाकर खाना है।
सर्दियों में अलसी, गुड़ और थोड़े से घी के लड्डू बनाकर खा सकते हैं। यह एक बेहतरीन स्नैक है।
2. अखरोट (Walnuts) - दिमाग का सुपरफूड
हमारे दिमाग का 50% हिस्सा फैट से बना है और इस फैट का आधा हिस्सा ओमेगा-3 ही है। अखरोट का दिखना दिमाग जैसा ही है और यह दिमाग के लिए वाकई सुपरफूड है।
ओमेगा-3 की मात्रा: लगभग एक मुट्ठी (28 ग्राम) अखरोट में 2700 mg ओमेगा-3 होता है।
फायदे:
याददाश्त, फोकस और एकाग्रता बढ़ाता है।
वजन कम करने में मददगार। एक स्टडी में पाया गया कि अखरोट की स्मूदी पीने वालों की भूख पर कंट्रोल आ गया और उनका वजन तेजी से कम हुआ।
ब्रेन के उस हिस्से को एक्टिवेट करता है जो जंक फूड की क्रेविंग को कंट्रोल करता है।
कैसे खाएं?
रोजाना 2-3 अखरोट रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाएं।
अखरोट के लड्डू बनाकर खा सकते हैं।
सलाद या दही में कटे हुए अखरोट मिलाएं।
3. चिया सीड्स (Chia Seeds) - मॉडर्न सुपरफूड
चिया सीड्स पिछले कुछ सालों में सुपरफूड के तौर पर काफी पॉपुलर हुए हैं और यह ओमेगा-3 का बेहतरीन स्रोत हैं।
ओमेगा-3 की मात्रा: सिर्फ 1 बड़े चम्मच चिया सीड्स में 2000 mg ओमेगा-3 होता है।
फायदे: वजन घटाने, हड्डियों की मजबूती और शरीर की सूजन को कम करने में मददगार।
सावधानी: चिया सीड्स को कभी भी सूखा नहीं खाना चाहिए। यह पानी सोखने वाले होते हैं, और सूखा खाने पर यह आंतों में जाकर पानी सोख लेंगे, जिससे कब्ज हो सकती है।
कैसे खाएं?
इन्हें कम से कम 30 मिनट के लिए पानी में भिगोकर रख दें।
भीगे हुए चिया सीड्स को नींबू पानी, स्मूदी, शेक, ओट्स या दही में मिलाकर खाएं।
4. सब्जा (तुलसी) के बीज (Sabja Seeds) - चिया सीड्स का देसी विकल्प
अगर आप लोकल चीजों को प्राथमिकता देते हैं, तो चिया सीड्स का सबसे बेहतरीन विकल्प है सब्जा सीड्स यानी तुलसी के बीज। फालूदा और गुलाब जल में इस्तेमाल होने वाले यही काले बीज होते हैं।
ओमेगा-3 की मात्रा: 1 बड़े चम्मच सब्जा सीड्स में 1240 mg ओमेगा-3 होता है।
फायदे: चिया सीड्स की तुलना में सब्जा सीड्स में फाइबर, कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम ज्यादा होता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह शरीर की गर्मी कम करने और पेट साफ करने में बहुत असरदार है।
कैसे खाएं?
इन्हें 10-15 मिनट पानी में भिगोकर, शरबत, स्मूदी या नींबू पानी में मिलाकर पिएं।
5. पालक (Spinach) - हरी पत्तेदार सब्जी का चैंपियन
हरी सब्जियों में पालक ओमेगा-3 का एक बेहतरीन स्रोत है।
ओमेगा-3 की मात्रा: 100 ग्राम पालक में लगभग 370 mg ओमेगा-3 होता है।
फायदे: पालक की एक गुच्छी (लगभग 300-400 ग्राम) खाने से आपको 1100 mg से ज्यादा ओमेगा-3 मिल जाता है। साथ ही, यह ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखती है और ओवरऑल हार्ट हेल्थ को इम्प्रूव करती है।
6. राजमा (Kidney Beans) और उरद दाल (Black Gram) - दालों से मिलेगा ओमेगा-3
दालें प्रोटीन का तो अच्छा स्रोत हैं ही, साथ ही इनमें ओमेगा-3 भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
ओमेगा-3 की मात्रा:
100 ग्राम पके हुए राजमा में 550 mg ओमेगा-3 होता है।
100 ग्राम पकी हुई काली उरद दाल में 600 mg ओमेगा-3 होता है।
7. टोफू (Tofu) - सोया का पावरहाउस
टोफू सोयाबीन से बनता है और यह प्रोटीन के साथ-साथ ओमेगा-3 का भी बढ़िया स्रोत है।
ओमेगा-3 की मात्रा: 200 ग्राम टोफू खाने से 1200 mg ओमेगा-3 और 20 ग्राम प्रोटीन मिलता है।
सावधानी: टोफू खरीदते समय ध्यान रखें कि वह नॉन-जीएमओ (GMO-Free) सोयाबीन से बना हो।
8. सरसों का कच्ची घानी तेल (Mustard Oil) - रसोई का खजाना
हमारी रसोई में मौजूद सरसों का तेल ही ओमेगा-3 की जरूरत पूरी कर सकता है, बशर्ते वह 'कच्ची घानी' यानी कोल्ड-प्रेस्ड हो।
ओमेगा-3 की मात्रा: 1 बड़े चम्मच कच्ची घानी सरसों के तेल में 826 mg ओमेगा-3 होता है।
फायदे: अगर आप खाना बनाने के लिए इसी तेल का इस्तेमाल करें, तो ओमेगा-3 की चिंता काफी हद तक कम हो जाती है।
9. देसी घी (Desi Ghee) - आयुर्वेद का सोना
घी को लेकर फैलाया गया यह मिथ कि यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, बिल्कुल गलत है। असल में, देसी घी हेल्दी फैट्स में सबसे टॉप पर आता है।
फायदे:
यह बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है।
जो घी दही को मथकर (बिलोना विधि) से बनाया जाता है, वह ओमेगा-3 से भरपूर होता है।
आयुर्वेद कहता है - "चाहे उधार लेकर खाना पड़े, लेकिन घी जरूर खाओ।"
10. शिलाजीत (Shilajit) - प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत
सर्दियों का मौसम शिलाजीत लेने के लिए बेस्ट है। यह सिर्फ सेक्सुअल हेल्थ के लिए ही नहीं, बल्कि एंटी-एजिंग, बोन डेंसिटी, हार्ट हेल्थ और अल्जाइमर जैसी बीमारियों में भी फायदेमंद है। प्योर हिमालयन शिलाजीत का सेवन रात को सोने से पहले गुनगुने दूध या पानी के साथ करने से माइंड और बॉडी दोनों की स्ट्रेंथ बढ़ती है।
निष्कर्ष: अपनी डाइट को बनाएं ओमेगा-3 रिच
दोस्तों, जैसा कि हमने देखा, ओमेगा-3 के लिए हमें महंगे और संदेहास्पद फिश ऑयल कैप्सूल पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है। हमारे आसपास ही ओमेगा-3 के इतने समृद्ध शाकाहारी स्रोत मौजूद हैं। बस जरूरत है तो उन्हें अपने दैनिक आहार में शामिल करने की।
सारांश:
रिफाइंड ऑयल को कहें अलविदा और कच्ची घानी के तेलों को अपनाएं।
अलसी, अखरोट और सब्जा सीड्स जैसे सुपरफूड्स को अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं।
हरी सब्जियां और दालें नियमित रूप से खाएं।
देसी घी से डरें नहीं, बल्कि उसका सही मात्रा में सेवन करें।
इन छोटे-छोटे बदलावों से आप न सिर्फ ओमेगा-3 की कमी पूरी कर पाएंगे, बल्कि अपने दिल और दिमाग दोनों को लंबे समय तक जवां और स्वस्थ रख पाएंगे। तो क्या कहते हैं, आज से ही इन देसी सुपरफूड्स को अपनी प्लेट में जगह दें और सेहत का खजाना पाएं!
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